HTTP क्या है? पूरा जाने।

दोस्तों,आज का समय बहुत ही बदल चुका है। वर्तमान समय में बहुत सारी नई-नई चीजें आ चुकी है। जो कि पुराने समय में मौजूद नहीं थी और उस समय इंटरनेट का ज्यादा Use नहीं होता था।

कहते हैं कि बदलाव बहुत जरूरी है। बदलाव ही हमें नई नई चीजें सिखाता है। नए नए अनुभवों को समझाता है। आज इंटरनेट एक ऐसा माध्यम बन चुका है। जिसकी मदद से किसी भी विषय से संबंधित सूचना को विस्तृत रूप से देख सकते हैं। हम आपको Article के माध्यम से एक महत्वपूर्ण विषय के बारे में जानकारी बताने जा रहे हैं। जिसका नाम HTTP है इसके बारे में नीचे विस्तार से सरल शब्दों में जानेंगे।


तो आइए दोस्तों बिना देर करें HTTP के बारे में और जाने –

 

HTTP क्या है ?

यह इन्टरनेट पर सूचनाओं को transferred करने का एक प्रोटोकॉल होता है। इसी प्रोटोकॉल के यूज़ ने बाद में वर्ल्ड वाइड वेब को जन्म दिया था। इस प्रोटोकॉल का विकास World Wide Web Consortium एवं Internet Engineering Task Force ने संयुक्त रूप से किया था।
एच.टी.टी.पी. किसी क्लाइण्ट और किसी सर्वर के मध्य के Request और Response का प्रोटोकॉल है। जहाँ क्लाइण्ट कोई उपयोगकर्त्ता है एवं सर्वर कोई वेबसाइट है। क्लाइण्टों एच.टी.टी.पी. का प्रयोग करके किसी वेब ब्राउजर प्रोग्राम अथवा किसी अन्य टूल के द्वारा कोई अनुरोध भेजता है। उसका उत्तर देंने वाला सर्वर जो एच.टी.एम.एल. फाइलों अथवा वेबसाइटों की सामग्री को स्टोर करता है इसको मूल सर्वर कहते है। इन दोनों के बीच कई मध्यस्थ (Mediator) भी हो सकते हैं। जैसे- proxy server, gateway आदि।
हालांकि एच.टी.टी.पी. मुख्यतया TCP/IP के साथ प्रयोग किया जाता है लेकिन इसका उपयोग केवल इसी पर सीमित नहीं है। वास्तव में इन्टरनेट या अन्य नेटवर्कों का उपयोग करने वाला कोई भी प्रोटोकॉल इसका उपयोग कर सकता है।

 

HTTP का फुल फॉर्म क्या होता है ?

HTTP का पूरा नाम ”हाइपरटैक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल” (Hyper Text Transfer Protocol) होता है।

 

HTTP का इतिहास –

HTTP का इतिहास बहुत प्राचीन है। यह बात सन 1991 की है जब HTTP का पहला वर्जन लांच हुआ था। Tim Berners-Lee जिनको World Wide Web का जनक माना जाता है। HTTP को भी इन्होंने ही प्रस्तुत किया था।
समय के आधार पर नए-नए वर्जन विकसित किए गए। जिन्हें निम्नलिखित माध्यम से जानने की पूरी कोशिश करते हैं –

  1. HTTP 0.9 –

सबसे पहला वर्जन यही था। इसको 1991 में विकसित किया गया था।

  2. HTTP 1.0 –

इस वर्जन को 1996 में जारी किया गया था। यहां वर्जन HTTP 0.9 से इसने pages के अनुरोध के लिए विशेष प्रकार की मेथड्स का समर्थन करता था।

  3. HTTP 1.1 –

इस वर्जन को 1997 में जारी किया गया था। इसमें कनेक्शन और सुरक्षा के लिए TLS/SSL जैसे फीचर्स को जोड़ा गया था।

  4. HTTP 2.0 –

इस वर्जन को 14 मई 2015 को जारी किया गया था। इसमें कुछ सुधार किए गए नेटवर्क प्रोटोकॉल का होता है।

  5. HTTP 3.0 –

HTTP 3.0 modern latest वर्जन है। जिसको 2020 में जारी किया गया। इस आधुनिक वर्जन को QUIC transport protocol के Header के लिए विकसित किया गया।

 

HTTP की विशेषताएं –

HTTP की कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित है –

  • Cookies –

HTTP कुकीज़ के माध्यम से सर्वर यूज़र को पहचानने में और सेशन प्रबंधन करने में सक्षम होता है। कुकीज़ मुख्य रूप से उपयोगकर्ता की प्राथमिकताओं, सेटिंग्स इत्यादि को संग्रहित करने में मदद करती हैं।

  • Status Codes –

HTTP उत्तर कोड की मदद लेकर सर्वर द्वारा संदेश की स्थिति प्रदर्शित करता है। कुछ प्रमुख स्थिति कोड (status code) और उनके वास्तविक अर्थ को दर्शाया गया हैं। जैसे- 200(OK), 404(Not Found), 500 (Internal Server Error) इत्यादि।

  • Stateless –

HTTP Stateless प्रोटोकॉल का रूप होता है। अर्थात सर्वर और क्लाइंट के बीच जितने भी वर्तमान अनुरोध होते हैं। इन्हीं वर्तमान अनुरोध को याद रखा जाता है मतलब पिछले अनुरोधों की कोई याददाश्त नहीं होती है।

  • Connectionless –

HTTP को Connectionless कह सकते हैं। क्योंकि यह कनेक्शन अनुरोध पूर्ण होने के बाद बंद हो जाता है। कोई नया अनुरोध होता है तो नया संपर्क स्थापित किया जाता है।

अन्य किसी तरह की सामग्री का आदान-प्रदान सर्वर और क्लाइंट के मध्य तब तक होता है। जब तक सर्वर और क्लाइंट आपस में कनेक्टेड है।

 

HTTP कैसे वर्क करता है ?

HTTP कार्य करने के लिए निम्नलिखित स्तरों को पार करता है।
जैसे – यूजर जब एक ब्राउज़र ओपन करके URL (Uniform Resource Locator) टाइप करता है और फिर Enter दबाते है। तब URL एक वेब पेज ऐड्रेस का उल्लेख करता है। इस URL को Domain Name Server (DNS) के पास भेजा जाता है। जिससे DNS इस URL को सबसे पहले अपने database के रिकॉर्ड में चैक करने में जुट जाता है फिर बाद में परिणाम स्वरूप DNS, URL के अनुसार ip address को सीधे तौर पर वेब पेज को लौटाता है एवं फिर ब्राउज़र एक HTTP अनुरोध को भेजता है। जिससे ब्राउज़र सर्वर को यह बता सके कि वह क्या डेटा मांग रहा है तथा सर्वर फिर उस अनुरोध के आधार पर क्लाइंट को डेटा भेज देता है।

 

HTTP के लाभ –

 • HTTP बहुत आसान व सरल प्रकार का प्रोटोकॉल है।
 • HTTP का खास उपयोग वेब सेवाओं, फ़ाइल ट्रांसफर, ऐप्स व कई अनुप्रयोगों में भी भागीदारी निभाता है।
 • HTTP मुख्य तौर पर प्लेटफ़ॉर्म इंडिपेंडेंट प्रोटोकॉल है। कहने का मतलब इसका सरलता से यूज किसी भी ऑपरेटिंग सिस्टम या किसी भी डिवाइस पर कर सकते हैं।
 • इसके द्वारा कम्युनिकेशन की सुरक्षा और डेटा की गोपनीयता सुनिश्चित की जाती है।

 

HTTP के नुकसान –

 • इसमें सुरक्षा की कमी देखने को मिलती है जैसे- HTTP जो भी डाटा भेजे जाते हैं। उस डाटा को तीसरे पक्ष द्वारा इंटरसेप्ट किया और पढ़ा जा सकता है।
 • HTTP में कैशिंग की कमी होती हैं।
 • HTTP में multimedia के लिए लिमिटेड समर्थन देखने को मिलता है।

 

निष्कर्ष –

HTTP की सारी जानकारी दोस्तों आपको जरूर समझ में आई होगी। मैंने आपको HTTP के बारे में जानकारी समझाने की अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है।
आशा करता हूं कि आपको इस आर्टिकल के माध्यम से HTTP के बारे में जानकारी अच्छी लगी होगी।
इन जानकारियों को अपने friends, family के साथ जरूर शेयर करें और अगर आपका कोई सा प्रश्न है तो निसंकोच Comment करके पूछ सकते हैं।

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