रिपीटर क्या है? इसकी विशेषताएं, प्रकार, कार्य, फायदे और नुकसान बताये।

आज हम इस टॉपिक में जिस विषय के बारे में बात करते हैं वहां नेटवर्क से बहुत ही ताल्लुक रख सकता है। बहुत लोगों को इसके बारे में आज के वक्त में भी जानकारियां नहीं है आज हम इस टॉपिक में Repeater से रिलेटेड कुछ विशेष जानकारी के बारे में जानेंगे कि आज बहुत ही मॉडर्न जमाना चल रहा है जहां हर एक चीज एक महत्वपूर्ण रूप में होती है मतलब इस मॉडर्न जमाने में प्रत्येक चीज का नॉलेज होना आवश्यक है। Repeater क्या है तथा इसके प्रकार, लाभ, नुकसान सभी जानकारियां आसान से आसान शब्दों में जानेंगे चलिए बिना देर करें जानते हैं-

 

Repeater क्या है?

Repeater जिसको Network Repeater के नाम से भी जाना जाता है यहां ऐसा पावरफुल नेटवर्किंग डिवाइस है जिसके द्वारा नेटवर्क में सिग्नल्स को रीजनरेट किया जाता है। मतलब कि इससे सिग्नल्स लंबी दूरी तय कर सकते हैं और इससे सिग्नल्स की स्ट्रेंथ में भी कोई चेंज नहीं होता है बिल्कुल समान रहती हैं। जितने भी वीक सिग्नल्स होते हैं उनको पुनः रीप्रोड्यूस करने में रिपीटर बड़ी अहम भूमिका निभाता है। इतना ही नहीं यहां नेटवर्क के एरिया में डाटा की क्वालिटी को बनाए रखने में तो हेल्पफुल है पर रिपीटर सिग्नल्स की स्पीड और दूरी को भी बढ़ाने में भी सक्षम है। रिपीटर नेटवर्क के परफॉर्मेंस को भी बेहतर बनाते हैं।

आसान भाषा में- कहां जाए तो रिपीटर कभी भी या किसी भी वक्त सिग्नल को amplify नहीं करता है बल्कि जो वीक सिग्नल्स होते हैं उनको bit by bit copy करके पुनः ओरिजिनल स्ट्रैंथ में रीजनरेट करता है। वास्तविक में रिपीटर एक इंटेलिजेंट डिवाइस का रूप है। जो सिग्नल्स को रीजनरेट तो करता है वही सिग्नल्स के मार्ग में जो Noise और Error आते हैं उनको सॉल्व भी करता है। इतना ही नहीं यहां सिग्नल्स को Corrupt या Loss होने से बचाता है। यह लगभग सभी Network Device के साथ कार्य करने में सक्षम होता है।

 

Repeater की क्या-क्या विशेषताएं हैं?

रिपीटर की कुछ विशेषताओं के बारे में निम्न जानकारी दी गई है चलिए विस्तार से जानते हैं-

• आज प्रेजेंट टाइम में रिपीटर वायर्ड और वायरलेस दोनों रूपों में अवेलेबल है।
• रिपीटर को कनेक्ट करना बहुत ही सिंपल होता है।
• रिपीटर मुख्य रूप से डाटा पैकेट को फॉरवर्ड और बूस्ट करने में सक्षम होता है।
• रिपीटर का मुख्य कार्य सिग्नल को ट्रांसमिट करना परंतु उससे पहले सिग्नल्स की स्ट्रेंथ को रीजेनरेट करते हैं।
• रिपीटर विशेष रूप से OSI मॉडल के फिजिकल लेयर पर वर्क करता है।

 

Repeater के कौन-कौन से प्रकार होते हैं?

रिपीटर के कुछ मुख्य प्रकार निम्न दिए गए हैं-

1. Digital Repeater – इस टाइप के रिपीटर डिजिटल सिगनल्स को बिना किसी amplifying किए reproduce कर सकते हैं। Digital Repeater को “Digitate” नाम से भी जाना जाता है यह रिपीटर खराब सिग्नल्स को फिर से कनेक्ट कर सकते हैं।
2. WiFi Repeaters – इस टाइप के रिपीटर वाई-फाई सिग्नल्स की रेंज और स्ट्रैंथ को बढ़ावा देते हैं।
3. Satellite Repeaters – इस टाइप के जो रिपीटर होते हैं उनको वहां उपयोग में लाया जाता है जहां वायरलेस संचार और नेटवर्क सिस्टम होता है।
4. LTE Repeaters – इस टाइप के रिपीटर को खासकर वायरस कम्युनिकेशन और नेटवर्किंग सिस्टम में यूज किया जाता है।
5. Optical Repeaters – इस प्रकार की जो रिपीटर है वह अक्सर ऑप्टिकल फाइबर केबल में light beam को इनक्रीस करते हैं। इस तरह के रिपीटर optoelectronic circuits होते हैं।

 

Repeater कैसे कार्य करता है?

वास्तव में रिपीटर सिग्नल्स को रीजेनरेट करता है पर दोस्तों एक नेटवर्क पर जितने ज्यादा रिपीटर यूज होते हैं वहां नेटवर्क उतना ही अधिक स्ट्रांग होता है। जिस नेटवर्क के साथ रिपीटर को कनेक्ट किया जाता है तो टोटल ट्रांसमिट किए गए सिग्नल सर्वप्रथम रिपीटर तक पहुंचते हैं जिसके बाद यह वीक सिग्नल्स को रीजेनरेट करता है और फिर आगे की तरफ ट्रांसमिट करता है। इस सिचुएशन में अगर पुनः कोई भी वीक सिग्नल आता है तो फिर से नई प्रोसेस के साथ रीजेनरेट करके आगे ट्रांसमिट कर देता है। आज के मॉर्डन जमाने में बहुत ही तरह-तरह के मॉडर्न रिपीटर उपलब्ध है। जो दूसरे नेटवर्किंग डिवाइस के साथ बड़ी ही आसानी से कनेक्ट होकर वर्क कर सकते हैं जैसे- router, hub, switch etc.

 

Repeater के फायदे क्या है?

Repeater के कुछ फायदे निम्नलिखित दिए गए हैं जैसे-

• रिपीटर से एक फायदा यहां होता है कि यह ट्रांसमिशन की दूरी को बढ़ा सकते हैं।
• रिपीटर नेटवर्क में जितनी भी त्रुटियां आती है उनको सिंपली ढूंढने में माहिर है।
• इनकी लागत बहुत कम होती है।
• रिपीटर को कनेक्ट करना बहुत ही सिंपल होता है।

 

Repeater के नुकसान क्या है?

Repeater के कुछ नुकसान के बारे में निम्नलिखित जानकारी दी गई हैं जैसे-

• अगर बाई चांस रिपीटर खराब हो जाते हैं तो पूरा नेटवर्क सिस्टम बिगड़ जाता है।
• रिपीटर इंटरनेट की स्पीड पर इफेक्ट करते हैं।
• रिपीटर नेटवर्क की निगरानी करने में पूर्णतः सक्षम नहीं है।
• इतना ही नहीं रिपीटर नेटवर्क ट्रेफिक को भी काम करने में सक्षम नहीं है।

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सारांश-

दोस्तों इस आर्टिकल की मदद से आप जान गए होंगे कि Repeater क्या है? आशा करता हूं कि आपको सभी जानकारी पसंद जरूर आई होगी। इन सभी जानकारियों को अपने Friends, Family के साथ जरूर शेयर करें और आपका अगर कोई सा भी कन्फ्यूजन हो तो Comment करके निसंकोच पूछ सकते हैं।
Thank you

 

कुछ FAQ-

Q.1 Repeater का काम क्या है?
Ans. Repeater जिसको Network Repeater के नाम से भी जाना जाता है यहां ऐसा पावरफुल नेटवर्किंग डिवाइस है जिसके द्वारा नेटवर्क में सिग्नल्स को रीजेनरेट किया जाता है। मतलब कि इससे सिग्नल्स लंबी दूरी तय कर सकते हैं और इससे सिग्नल्स की स्ट्रेंथ में भी कोई चेंज नहीं होता है बिल्कुल समान रहती हैं।

Q.2 Repeater से क्या लाभ है?
Ans. Repeater से एक मुख्य लाभ यहां होता है कि यह ट्रांसमिशन की दूरी को बढ़ा सकते हैं।

 

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