Projector क्या है इसके प्रकार, विशेषता और लाभ बताये।

दोस्तों आज का विषय बहुत ही खास है‌ एवं आपके लिए बहुत ही उपयोगी हो सकता है। गुजरते वक्त के साथ निरंतर बहुत सारी सुविधाएं बढ़ती जा रही है। आज का समय बहुत ही बदल चुका है। पिछले समय की बात करें तो उस समय इतनी सुविधाएं मौजूद नहीं थी। परंतु आज के टाइम में सब कुछ संभव है। आज बहुत प्रकार की सुविधाएं हम सभी के लिए हर समय तत्पर रहती है। जिनका हमने कभी भी आइडिया नहीं लगाया था।


इस article में हम बात करेंगे कि Projector क्या है तथा इससे संबंधित संपूर्ण जानकारियां बिना Time waste करे नीचे विस्तार से जानते हैं –

 

Projector क्या है?

Projector जिसको न केवल आउटपुट डिवाइस कहा जाता है बल्कि ऑप्टिकल डिवाइस भी कहते हैं। इसका मेन वर्क वीडियो एवं इमेज को स्क्रीन या फिर दीवार पर प्रोजेक्ट करना होता है। मतलब की इमेज या फिर वीडियो को किसी भी बड़ी सतह जैसे की दीवार या सफेद पर्दे पर दिखाना। आज के टाइम में प्रोजेक्टर का खास उपयोग वीडियो एवं इमेज को बड़े आकार में दिखाने के लिए होता है। ज्यादातर प्रोजेक्टर का उपयोग स्कूल, होम थिएटर, ऑफिस प्रेजेंटेशन, मीटिंग इत्यादि में होता है पर इसके भी अलावा दोस्तों पढ़ाई के क्षेत्र में भी प्रोजेक्टर का उपयोग होता है। वही आज हम सिनेमा हॉल की बात करें तो वहां भी प्रोजेक्टर बहुत उपयोगी होता है। इसका साइज भी लगभग एक फुट होता है। यह बहुत पोर्टेबल होते हैं इनको कहीं भी लाना, ले जाना बहुत सिंपल होता है। प्रोजेक्टर वायर्ड और वायरलेस दोनों टाइप में मार्केट में अवेलेबल होते हैं। कुल मिलाकर कहा जाए तो प्रोजेक्टर वहां डिवाइस है जिसकी हेल्प से हम किसी भी वीडियो या इमेज को बहुत ही बड़े साइज में देख पाते हैं।

 

Projector के आविष्कारक कौन है?

Projector के आविष्कारक “Charles Francis Jenkins” है एवं इन्होंने वर्ष 1894 में प्रोजेक्टर का आविष्कार किया था।

 

Projector कितने प्रकार के होते हैं?

Projector वैसे तो कई प्रकार के होते हैं परंतु नीचे कुछ मुख्य प्रकारों के बारे में जानकारियां दी गई है। चलिए विस्तार से जानते हैं-

1. CRT Projector-

CRT इसका फुल फॉर्म “Cathode Ray Tube” होता है। यहां मुख्य रूप से आउटपुट डिवाइस होता है तथा यहां कैथोड रे ट्यूब के माध्यम से चित्रों और वीडियो को डिस्प्ले करने के काम आता है। इस टाइप के प्रोजेक्टर सन 1950 में मार्केट में उतरे थे। मार्केट में आने के पश्चात ही यह काफी पॉपुलर होने लगे। पर प्रजेंट टाइम में इस CRT Projector का यूज कम किया जाता है। इसके पीछे का कारण यहां है कि ये बिजली की खपत अधिक मात्रा में करते हैं और वजन में भारी तथा आकार मे बड़े होते हैं। पर हां इमेज क्वालिटी इनकी बहुत ही अच्छी होती थी।

2. LCD Projector-

इस टाइप के प्रोजेक्टर LCD टेक्नोलॉजी पर आधारित होते हैं। LCD जिसका फुल फॉर्म “Liquid Crystal Display” होता है। इनका खास करके उपयोग बिजनेस सेमिनार और मीटिंग में होता है। यह प्रोजेक्टर विशेष रूप से वीडियो, इमेज व डाटा को दीवार या फिर सफेद पर्दे पर डिस्प्ले करते वक्त लिक्विड क्रिस्टल का यूज करते हैं। यह दूसरे प्रोजेक्टर की तुलना में काफी सस्ते होते हैं। आज के टाइम में इनका कई जगहों पर यूज होता है जैसे कि सेल फोन, पोर्टेबल वीडियो गेम, लैपटॉप, कंप्यूटर और टीवी आदि। इस टाइप के प्रोजेक्टर को slide और overhead प्रोजेक्टर भी कह सकते हैं।

3. DLP Projector-

DLP जिसका फुल फॉर्म “Digital Line Processing” होता है। यह एक ऐसा प्रोजेक्टर है जो की वीडियो और इमेज को डिस्प्ले करने के लिए विशेष तौर पर micro-mirrors यूज करता है। इनका इस्तेमाल ऑर्गेनाइजेशन व क्लासेस में होता है। साथ ही टीवी में बैक प्रोजेक्शन के लिए भी बड़े उपयोगी माने जाते हैं। इनको मेंटेन रखना बहुत सिंपल होता है पर हां दोस्तों इनमें Mirrored Chip के कारण Pixels की संख्या लिमिट में पाई जाती है।

4. 4K Projector-

इस टाइप के प्रोजेक्टर आज बहुत ही प्रसिद्ध हासिल कर चुके हैं। मतलब कहां जाए तो मार्केट में सबसे ज्यादा डिमांड इस टाइप के प्रोजेक्टर की है। खास बात यहां की ये प्रोजेक्टर वायर्ड और वायरलेस दोनों रूपों में अवेलेबल है अर्थात इनको दोनों तरीकों से कंप्यूटर के साथ कनेक्ट कर सकते हैं। यह बहुत ही लाइट विजिट में होते हैं। जिस वजह से इनको कहीं भी लाना, ले जाना आसानी से हो जाता है।

 

Projector की विशेषता क्या है?

Projector की कुछ विशेषता इस प्रकार है जैसे-

• प्रोजेक्टर को सेटअप करना बहुत सिंपल होता है। इनको किसी भी स्थान पर सिंपली सेटअप कर सकते हैं।
• घरेलू प्रोजेक्टर की कीमत बहुत ही कम होती है। जिस वजह से कोई भी यूजर सिंपली मार्केट से परचेस कर सकता है।
• प्रोजेक्टर बड़ी पिक्चर साइज जैसी सर्विस भी प्रोवाइड करते हैं।
• विशेष रूप से कई प्रोजेक्टर हाय पिक्चर क्वालिटी के लिए जाने जाते हैं। अधिकांश बहुत से प्रोजेक्टर पिक्चर क्वालिटी में 1080p तक कि सर्विस प्रोवाइड करते हैं।

 

Projector के लाभ क्या है?

प्रोजेक्टर के उपयोग से कुछ विशेष लाभ भी होते हैं जैसे की-

• प्रोजेक्टर के द्वारा स्क्रीन साइज को छोटा-बड़ा करना आसान होता है।
• वहीं स्वास्थ्य की बात करें तो हमारी आंखों के लिए भी बहुत आरामदायक होते हैं।
• कई ऐसे प्रोजेक्टर भी होते हैं जो पोर्टेबल होते हैं। जिनका साइज छोटा होता है और वजन में भी हल्के होते हैं।
• आज जिन प्रोजेक्टर का यूज घर में मनोरंजन के आधार पर किया जाता है उनकी कीमत भी बहुत कम होती है।

 

Projector के नुकसान क्या है?

Projector के कुछ नुकसान जैसे की-

• प्रोजेक्टर का उपयोग वहीं किया जा सकता है जहां अंधेरा हो। मतलब की अंधेरे कमरे में ही प्रोजेक्टर ज्यादा उपयोगी होते हैं।
• अक्सर प्रोजेक्टर में आवाज की बड़ी प्रॉब्लम होती है कहां जाए तो एक वीडियो प्रोजेक्टर वॉइस में अच्छा प्रदर्शन नहीं देता है। जिस वजह से अलग से स्पीकर का यूज करना पड़ता है।
• प्रोजेक्टर को इंस्टॉल करने में भी काफी समस्याएं आती है।

यहां भी जानें- Capacitor क्या है? इसके प्रकार और काम बताइये in Hindi

 

सारांश-

दोस्तों इस आर्टिकल की मदद से आप जान गए होंगे कि Projector क्या है? आशा करता हूं कि आपको सभी जानकारी पसंद जरूर आई होगी। इन सभी जानकारियों को अपने Friends, Family के साथ जरूर शेयर करें और आपका अगर कोई सा भी कन्फ्यूजन हो तो Comment करके निसंकोच पूछ सकते हैं।
Thank you

 

कुछ FAQ-

Q.1 Projector क्या है in Hindi?
Ans. Projector जिसको न केवल आउटपुट डिवाइस कहा जाता है बल्कि ऑप्टिकल डिवाइस भी कहते हैं। इसका मेन वर्क वीडियो एवं इमेज को स्क्रीन या फिर दीवार पर प्रोजेक्ट करना होता है। मतलब की इमेज या फिर वीडियो को किसी भी बड़ी सतह जैसे की दीवार या सफेद पर्दे पर दिखाना। आज के टाइम में प्रोजेक्टर का खास उपयोग वीडियो एवं इमेज को बड़े आकार में दिखाने के लिए होता है।

Q.2 Projector का जनक कौन है?
Ans. Projector के जनक “Charles Francis Jenkins” है एवं इन्होंने वर्ष 1894 में प्रोजेक्टर का आविष्कार किया था।

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