Digital Signature-कैसे वर्क करता है,क्यों जरुरी है?प्रकार, जरूरी डॉक्यूमेंट और फायदे बताये।

जैसे-जैसे समय गुजर रहा है वैसे ही कई ऐसी चीजों का चलन है जिनका कभी भी किसी भी व्यक्ति ने शायद विचार नहीं किया होगा। आज हम ऐसे जमाने में जी रही है जिसमें किसी भी चीज की कोई कमी महसूस नहीं होती हैं। पल भर में हम बड़े से बड़े काम को कम समय में कर सकते हैं आज टेक्नोलॉजी इतनी आगे बढ़ चुकी है कि पहले के समय की तुलना में आज का समय विकास के मार्ग पर अग्रसर हो रहा है। दोस्तों यह तो ठीक है लेकिन अब हम इस आर्टिकल पर बात करते हैं आज हम इस आर्टिकल में Digital Signature के बारे में बात करेंगे। आपके मन में विचार जरूर आया होगा कि आखिर यहां क्या है तो चलिए बिना देर करें जानते हैं।

 

Digital Signature क्या है?

Digital Signature एक तरह से डिजिटल हस्ताक्षर का रूप होती है इसको इलेक्ट्रॉनिक सिग्नेचर के नाम से भी जाना जाता है। डिजिटल सिग्नेचर डॉक्यूमेंट के वेरीफाइड तथा डॉक्यूमेंट के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई हो इसको बताने में अहम भूमिका निभाती है। वैसे आज के वक्त में डिजिटल सिग्नेचर का खास उपयोग Emails, Business, Software distribution, Tax filing, Tenders इत्यादि में होता है। डिजिटल सिग्नेचर बिल्कुल हाथ के द्वारा लिखे गए सिग्नेचर जैसा ही होता है। Controller of Certifying Authorities (CCA) के द्वारा डिजिटल सिगनेचर सर्टिफिकेट को स्वीकृत किया जाता है और यहां डिजिटल सिगनेचर सर्टिफिकेट मुख्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक पासवर्ड होता है। जो यूजर की पर्सनल डिटेल्स जैसे – Name, address, date of birth, Aadhar card and PAN card information etc.

 

Digital Signature कैसे वर्क करता है?

दोस्तों डिजिटल सिग्नेचर में मुख्य रूप से प्रोटोकॉल का यूज होता है। यहां पर हम प्रोटोकॉल को “Public Key Infrastructure (PKI)” कह सकते हैं। इसके उपयोग से कोई भी व्यक्ति या फिर संस्थान इंटरनेट की हेल्प से अपने डेटा को सिक्योर तरीके से आदान-प्रदान कर सकता है। डिजिटल सिग्नेचर वैसे Public Key क्रिप्टोग्राफी की मेथड के अनुसार वर्क करता है। जिसको मुख्य रूप से Asymmetric Cryptography कह सकते हैं। यहां दो टाइप की keys को जनरेट करता है जिनको Private Key और Public Key कहा जाता है। आईए दोस्तों अब इनके वर्क के बारे में जानते हैं-

• Private Key-

यहां डिजिटल सिग्नेचर की मुख्य सिक्योरिटी होती है तथा यहां मैसेज को Decrypt करती है। इसको Secret Private Key के नाम से भी जाना जाता है। इसके तहत मैथमेटिकल एल्गोरिथम की हेल्प से दस्तावेज़ों का मिलान, डीटेल्स चेक करना इत्यादि जैसे वर्क होते हैं। जब कभी डॉक्यूमेंट पर डिजिटल सिग्नेचर होता है। तब वहां पर Electronic Sign इसी key के माध्यम से ही जेनरेट होता है अगर कभी बाई चांस signer (हस्ताक्षरकर्ता) की Private Key अगर गलत व्यक्ति के पास पहुंच जाए तो वहां व्यक्ति इसका दुरुपयोग कर सकता है।

• Public Key-

इसको Public रखा जाता है जिस वजह से इसको Public Key कहा जाता है। जब डॉक्यूमेंट रिसीवर के पास पहुंचता है तब वहां डॉक्यूमेंट के साथ-साथ रिसीव हुए Public Key का उपयोग करके डॉक्यूमेंट का वेरीफिकेशन पूर्णतः कर सकता है। यूजर द्वारा जब Public Key का यूज होता है तब पुनः Hash code रिसीवर की Public Key की हेल्प से Decrypt हो जाता है मान लीजिए अगर कभी Hash code रिसीवर की Public Key के डिस्क्रिप्शन से मेल खाता है तो इसका अर्थ तो यही होगा कि डॉक्यूमेंट के साथ किसी भी तरह की कोई छेड़खानी नहीं हुई है। पर इसके विपरीत अगर Public Key की हेल्प से वहां कोड प्राप्त नहीं होता है तो इस सिचुएशन में यही परिणाम सामने आता है कि डॉक्यूमेंट के साथ किसी ने छेड़खानी करी हुई है। यह भी हो सकता है डॉक्यूमेंट किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा सेंड किया गया हो। इस स्थिति में उस डॉक्यूमेंट को फेक घोषित किया जाता है।
दोस्तों इसी मेथड को अपना कर डिजिटल सिग्नेचर डॉक्यूमेंट के Issuer (जारीकर्ता) से संबंधित पहचान को जांचता है। अर्थात डॉक्यूमेंट किसके नाम से साइन किया गया है एवं यहां एक तरह से डिजिटल सिग्नेचर होल्डर की अनुकूलता को प्रदर्शित करने का प्रमाण होता है। दोस्तों प्रत्येक व्यक्ति की कभी भी Private Key और Public key एक जैसी नहीं होती है बल्कि यूनिक होती है।

 

Digital Signature सर्टिफिकेट जरूरी क्यों होता है?

दोस्तों अगर आप भी डिजिटल रूप से वर्क करते हैं या आपको भी कभी-कभी डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट चाहिए होता है तो चलिए हम बिना देर करें डिजिटल सिगनेचर सर्टिफिकेट के महत्व को जानते हैं-

1. डिजिटल सिगनेचर सर्टिफिकेट जीएसटी रिटर्न फाइल करने में महत्वपूर्ण होता है।

2. Contract and Agreement को ई-साइनिंग करने के लिए डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट अहम होता है।

3. Government tender में भी ई-फाइल करने के लिए भी डिजिटल सिगनेचर सर्टिफिकेट जरूरी होता है।

4. इनकम टैक्स रिटर्न में, Company Incorporation में ई-फाइल करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है।

 

Digital Signature सर्टिफिकेट के प्रकार क्या है?

डिजिटल सिग्नेचर के प्रकार-

1. Class 1 –

इस टाइप के डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट का यूज निजी अथवा व्यक्तिगत वर्गों में होता है। इसको बहुत कम मूल्य वाले लेनदेन में इस्तेमाल किया जाता है यहां किसी भी यूजर की ईमेल आइडेंटिफिकेशन को प्रमाणित करता है।

2. Class 2 –

यहां जो बिजनेस और प्राइवेट यूजर होते हैं उनको जारी किया जाता है और इसमें किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके डेटाबेस के अनुसार ही होती है। इसी वजह से इसको आयकर विभाग में आयकर रिटर्न के लिए, मंत्रालय और कॉरपोरेट आदि विभागों में डॉक्यूमेंट फाइल करने में बहुत यूज किया जाता है।

3. Class 3 –

इसको डायरेक्ट ही Certified Authority (CA) की हेल्प से जारी किया जाता है एवं Authority क्या हाई लेवल को इंडिकेट करने में सक्षम होता है। इसका खास उपयोग रेलवे, बैंक,सड़क परिवहन अथॉरिटी ,बिजली बोर्ड जैसे सरकारी विभागों ई-नीलामी या ई-टेंडरिंग में होता है।

 

Digital Signature बनवाने के लिए कौन-कौन से जरूरी डॉक्यूमेंट चाहिए होते हैं?

डिजिटल सिग्नेचर बनवाने के लिए निम्नलिखित में कुछ महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट की जरूरत होती है जैसे-

पैन कार्ड
एड्रेस प्रूफ फोटोकॉपी (Ration card, electricity bill, water bill or passport etc.)
4 passport size photographs

 

Digital Signature के फायदे क्या हैं?

डिजिटल सिग्नेचर के कुछ फायदे निम्नलिखित है-

डिजिटल सिग्नेचर के इस्तेमाल से हम धन की बचत कर सकते हैं।
डिजिटल सिग्नेचर वाले डाक्यूमेंट्स की जांच बड़ी ही आसानी से की जा सकती है।
डिजिटल सिग्नेचर के इस्तेमाल से समय की भी बहुत बचत होती है।
डिजिटल सिग्नेचर में कोई भी डुप्लीकेट हस्ताक्षर नहीं चलता है किंतु हाथों से लिखे हुए सिग्नेचर में कोई कॉपी कर सकता है किंतु इसमें ऐसा नहीं है।

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सारांश-

दोस्तों इस आर्टिकल की मदद से आप जान गए होंगे कि Digital Signature क्या होता है? आशा करता हूं कि आपको सभी जानकारी पसंद जरूर आई होगी। इन सभी जानकारियों को अपने Friends, Family के साथ जरूर शेयर करें और आपका अगर कोई सा भी कन्फ्यूजन हो तो Comment करके निसंकोच पूछ सकते हैं।
Thank you

 

कुछ FAQ-

Q.1 Digital Signature का मतलब क्या है?
Ans. Digital Signature एक तरह से डिजिटल हस्ताक्षर का रूप होती है इसको इलेक्ट्रॉनिक सिग्नेचर के नाम से भी जाना जाता है। डिजिटल सिग्नेचर डॉक्यूमेंट के वेरीफाइड तथा डॉक्यूमेंट के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई हो इसको बताने में अहम भूमिका निभाती है। वैसे आज के वक्त में डिजिटल सिग्नेचर का खास उपयोग Emails, Business, Software distribution, Tax filing, Tenders इत्यादि में होता है।

Q.2 Digital Signature कितने प्रकार के होते हैं?
Ans. डिजिटल सिग्नेचर के तीन प्रकार होते है।
1. Class 1
2. Class 2
3. Class 3

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