300 साल से मस्जिद में मुसलमानों की जगह हिंदू लोग करते हैं पूजा! कहानी जानकर चौंक जाएंगे!

अखंडता, भाईचारे और एकता का प्रतीक कैसा होता है?

दोस्तों अखंडता, भाईचारे और एकता के प्रतीक की बात करें तो “गया” जिले के केन्दुई गांव में एक मस्जिद है जहां मुस्लिम नहीं बल्कि हिंदू लोग सजदा अदा करते हैं। 300 साल पुरानी मस्जिद में मुस्लिम लोग नहीं बल्कि हिंदू धर्म के लोग पूजा करते हैं। इतना ही नहीं गंगा, जमुना, तहजीब की मिसाल जो लोग देते हैं उनको यहां पर आकर देखना चाहिए कि आखिर भाईचारे की एकता कैसी होनी चाहिए। कैसी अखंडता होनी चाहिए यहां आकर उनको एक बार जरूर देखना चाहिए। बिना किसी भेदभाव के भी एक शांति भरी जिंदगी की पुरी की पूरी संभावना होती है। यहां आज एक मिसाल है जनरेशन को प्रेरणा देने के लिए की मिल जुलकर रहने से कितना बड़ा बदलाव देखा जा सकता है, कितना विकास किया जा सकता है।

 

300 साल से मस्जिद में मुसलमानों की जगह हिंदू संप्रदाय के लोग करते हैं पूजा।

मतलब दोस्तों मुस्लिम लोगों की मस्जिद में हिंदू संप्रदाय के लोग सजदा अदा करते हैं। इसके अतिरिक्त पूजा पाठ भी करते हैं। यहां बात दाता अनवर शाह के मजार की है। यह मजार “गया” जिले के केंद्रुई गांव में स्थित है। यहां के लोगों का मानना है कि पिछले 300 सालों से यहां कोई मुस्लिम नहीं रहता है बल्कि हिंदू भाई मस्जिद की देखरेख, पूजा पाठ करते हैं। आप जानकर हैरान हो जाएंगे दोस्तों इस मस्जिद में हिंदू भाई त्योहार पर भी सजदा अदा करते हैं। पूरे साल भर मतलब दोस्तों हिंदू संप्रदाय के सभी लोग यहां आकर पूजा पाठ करते हैं। इस बात से किसी भी मुस्लिम एवं भाई को कोई दिक्कत नहीं है। आज कलयुग में भाईचारा का प्रतीकात्मक यह गांव साक्षात बन चुका है। पर यहां जानकर हैरानी होगी कि पिछले 300 वर्षों से हिंदू संप्रदाय के लोग इस मस्जिद की देखरेख करते हैं पूजा पाठ करते हैं सजदा अदा करते हैं। यहां के लोगों का मानना है कि मजार की धुलाई करने से एवं लोबान को डालने से पूर्ण रूप से बारिश होने लगती है। मतलब की बारिश नहीं होने की संभावना, बारिश होने में परिवर्तित हो जाती है। इतना ही नहीं अगर जैसे किसी व्यक्ति को कोई प्रॉब्लम है तो इन पर आस्था रखने से वहां भी दूर हो जाता है। एक हैरान करने वाली बात यहां है कि दोस्तों जिस गांव में यहां मजार है वहां पर एक भी कर मुस्लिम का नहीं है। वास्तविक में यहां पर एक भी मुस्लिम घर नहीं है ना ही मुस्लिम लोग यहां रहते हैं। इसके विपरीत 600 घर राजपूत लोगों के है।

यहां इतना तो हमें सिखाता है कि अखंडता, भाईचारे और एकता का प्रतीक कैसा होता है। पर हां दोस्तों यहां ईद, रमजान यह अन्य त्योहारों पर मुस्लिम लोग सजदा करने आते हैं और वह बिना किसी तकलीफ के सजदा अदा करते हैं। यहां के लोगों का मानना यहां है कि अगर कोई भी दुख, तकलीफ, समस्या आपको परेशान कर रही है तो यहां पर आस्था रखने से वहां जल्दी ही दूर हो जाएगी।

विनोद सिंह जो केन्दुई गांव के मुखिया हैं। इन्हीं के हाथों में मंदिर की देखरेख व मेंटेन करने का सभी काम है। आपको बता दे कि यह मस्जिद दाता अनवर शाह जी की है और दाता अनवर शाह जी भी एक मुस्लिम कास्ट से है। इसलिए कई वर्षों से यहां पर हिंदू संप्रदाय के लोग इसकी देखरेख पूजा पाठ करते हैं। 

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