SSL क्या है इसके प्रकार, उपयोग, कैसे काम करता है? in Hindi

दोस्तों आज वहां टाइम चल रहा है जहां जो हम सोच लेते हैं वहां संभव भी हो पता है। आज इतनी सारी टेक्नोलॉजी हमारे बीच दिन रात हमारी आंखों के सामने हमेशा तत्पर रहती है। आज हम जिधर देखे उधर निरंतर परिवर्तन देखने को मिल रहा है। इंटरनेट जिसने न केवल अपना ही नाम किया है बल्कि इसके द्वारा आजकल हमारे युवा साथी भी बड़ा नाम कमा रहे हैं। आज के आर्टिकल में हम इसी विषय पर विशेष चर्चा करने वाले हैं। जो इंटरनेट से काफी ताल्लुक रखता है। आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि आखिर SSL क्या होता है? क्यों जरूरी होता है, इसके फायदे इसके प्रकार, इसके उपयोग लगभग सभी जानकारी को इस आर्टिकल की मदद से आसान शब्दों में जानने का प्रयास करते हैं। चलिए बिना देर करें इस विषय के बारे में जानते हैं।

 

SSL क्या है?

SSL इसका फुल फॉर्म “Secure Sockets Layer” होता है इसको हिंदी में “सुरक्षित सॉकेट लेयर” कहते हैं। यहां एक प्रकार से क्रिप्टोग्राफिक प्रोटोकॉल है। इसका इंटरनेट में यूज किया जाता है। इसी प्रोटोकॉल के द्वारा इंटरनेट ब्राउज़र व वेबसाइट्स के बीच एक सिक्योर कनेक्शन बनता है। तभी यहां इंटरनेट यूजर को एक परमिशन देता है कि वहां अपने प्राइवेट डाटा को दूसरे वेबसाइट के साथ सिक्योर तरीके से एक्सचेंज कर सके। प्रजेंट टाइम में मैक्सिमम बहुत सारे वेबसाइट्स SSL का इस्तेमाल कर रहे हैं। मतलब कहां जाए तो करोड़ों की संख्या में लोग इसके द्वारा ऑनलाइन बिजनेस को फ्री माइंड होकर कर रहे हैं। इससे फायदा यह है कि कस्टमर और सेल्समेन के बीच जो ऑनलाइन ट्रांजैक्शन होता है। प्रोडक्ट के लिए, तो वहां हैकर का खतरा बना रहता है। उस सिचुएशन में हैकर के लिए बहुत ही कठिन कार्य होगा कि वहां कस्टमर और सेल्समेन के बीच का जो संपूर्ण डेटा है उसको drag out (चुरा) सके।
आज के टाइम में जितनी भी वेबसाइट है वे लगभग SSL का यूज कर रही है। SSL को यूज करने वाली वेबसाइट को पहचानना बहुत ही सिंपल है। उनका डोमेन नेम उदाहरणार्थ जैसे- https://gyanmaala.com/ जैसा होता है। इसमें दोस्तों आपको URL से पहले एक बंद ताला दिखाई देता है और http के जगह https जैसा दिखाई देता है। इससे यहां फिक्स हो जाता है कि वहां वेबसाइट पूरी तरह से व पूर्ण रूप से सुरक्षित है।
कोई भी यूजर अगर किसी भी वेबसाइट के एड्रेस बार में उस बंद ताले पर क्लिक करता है तो तुरंत ही उस वेबसाइट का SSL certification, identification और बाकी कई सारी इनफार्मेशन यूजर को दिखाई देती है। प्रत्येक वेबसाइट का एक अलग ही एसएसएल सर्टिफिकेट पाया जाता है।

 

SSL के उपयोग क्या है?

SSL का विभिन्न जगहों पर उपयोग किया जाता है। नीचे कुछ विशेष जानकारी दी गई है जैसे-

• E-commerce websites :- SSL का ज्यादातर उपयोग ई-कॉमर्स साइड में भी किया जाता है। क्रेडिट कार्ड और बहुत सारे पर्सनल इंफॉर्मेशन को सिक्योर रखने के लिए बहुत ही अहम होता है।
• Banking Websites :- बैंकिंग वेबसाइट में भी SSL का महत्वपूर्ण योगदान होता है जैसे की अकाउंट इनफार्मेशन व ट्रांजैक्शन सिक्योरिटी
• Government Websites :- गवर्नमेंट वेबसाइट में भी SSL का यूज किया जाता है। इसकी मदद से सेंसिटिव इंफॉर्मेशन को सिक्योर रखना सरल होता है।
• Email services :- ईमेल सर्विसेज में भी SSL का बहुत उपयोग होता है। कई प्रकार की ईमेल सर्विसेज को सिक्योर रखने के लिए SSL बहुत उपयोगी होता है।

 

SSL कैसे काम करता है?

SSL मुख्य रूप से दो प्रकार की key का इस्तेमाल करता है।
पहली- Public key, दूसरी- Private key.
इन दोनों तरह की key के सहयोग से एक सिक्योर कनेक्शन बनता है। जिसके ही द्वारा डाटा पूर्णतः सिक्योर रूप से शेयर हो पाता है।
जब कभी भी हम किसी भी टॉपिक से रिलेटेड इनफार्मेशन जानते हैं तो पहले हम वेब ब्राउज़र पर वेबसाइट का नेम फील करते हैं और फिर वेब ब्राउज़र उस वेबसाइट के सर्वर के साथ में कनेक्ट होता है। जो कि मुख्यतः SSL protocol का यूज कर रहा होता है।
यूजर सर्वप्रथम अपने ही ब्राउज़र से उस वेबसाइट के सर्वर को पहले रिक्वेस्ट भेजता है। रिक्वेस्ट भेजने के पश्चात वेब सर्वर अपने एसएसएल सर्टिफिकेट को कॉपी करने के साथ एक public key browser में सेंड कर देता है।
इसके बाद यूजर उस सर्टिफिकेट को सिंपली चेक करता है। जिससे यूजर को यहां विश्वास हो जाता है कि उस वेबसाइट के साथ अपने प्राइवेट डाटा को शेयर करने में किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं है।
इतना सब करने के बाद पुनः यूजर उस वेबसाइट के सर्वर को एक encrypt message देता है। वेब सर्वर उस encrypt message को पहले decrypt करता है फिर ब्राउज़र को acknowledgement सेंड करता है। जिससे यहां मालूम होता है कि यूजर के साथ SSL encryption स्टार्ट हो सके।
इन सभी प्रोसेस के बाद ही यूजर का टोटल प्राइवेट डाटा, ब्राउज़र और वेब ब्राउज़र के मध्य सिक्योर तरीके से आदान-प्रदान होता है।

 

SSL के प्रकार कौन-कौन से हैं?

SSL के कुछ प्रकार निम्नलिखित दिए गए हैं जैसे-

1. Domain Validated (DV) SSL Certificates – यहां बिल्कुल बेसिक टाइप के SSL होते हैं। इसका ज्यादातर यूज ब्लॉगर और छोटी बड़ी वेबसाइट में होता है। कुल मिलाकर यह मीडियम तरह की सर्विस प्रोवाइड करते हैं।

2. Organization Validated (OV) SSL Certificates – इस टाइप के SSL हाई लेवल में आते हैं। यह ऑनलाइन बिजनेस को वेरीफाई और सिक्योरिटी प्रदान करने के लिए जाने जाते हैं।

3. Wildcard SSL Certificates – इस टाइप के SSL के द्वारा दोस्तों आप अपने डोमेन नेम और सभी डोमेन नेम को सिक्योरिटी प्रोवाइड कर सकते हैं।

 

SSL के फायदे कौन-कौन से हैं?

SSL के कुछ फायदे –

1. SSL का सबसे पहला फायदा यह है कि इसके द्वारा डाटा को सिक्योरिटी मिलती है।
2. SSL की मदद से पर्सनल और सेंसिटिव इनफॉरमेशन सिक्योर रहती है
3. SSL के द्वारा यूजर्स के ट्रस्ट लेवल में बढ़ोतरी होती है।

यहां भी जाने- सूर्य ग्रहण 2024: कब लगेगा दूसरा सूर्य ग्रहण? कहां पर दिखाई देगा, सही डेट व टाइमिंग जाने।

 

हमने क्या सीखा?

दोस्तों इस आर्टिकल की मदद से आप जान गए होंगे कि SSL क्या है? आशा करता हूं कि आपको सभी जानकारी पसंद जरूर आई होगी। इन सभी जानकारियों को अपने Friends, Family के साथ जरूर शेयर करें और आपका अगर कोई सा भी कन्फ्यूजन हो तो Comment करके निसंकोच पूछ सकते हैं।
“Thank you”

 

SSL से संबंधित कुछ FAQ-

Q.1 SSL क्या होता है?
Ans. SSL इसका फुल फॉर्म “Secure Sockets Layer” होता है इसको हिंदी में “सुरक्षित सॉकेट लेयर” कहते हैं। यहां एक प्रकार से क्रिप्टोग्राफिक प्रोटोकॉल है। इसका इंटरनेट में यूज किया जाता है। इसी प्रोटोकॉल के द्वारा इंटरनेट ब्राउज़र व वेबसाइट्स के बीच एक सिक्योर कनेक्शन बनता है। तभी यहां इंटरनेट यूजर को एक परमिशन देता है कि वहां अपने प्राइवेट डाटा को दूसरे वेबसाइट के साथ सिक्योर तरीके से एक्सचेंज कर सके।

Q.2 SSL से क्या लाभ है?
Ans. SSL के लाभ –

1. SSL का सबसे पहला लाभ यह है कि इसके द्वारा डाटा को सिक्योरिटी मिलती है।
2. SSL की मदद से पर्सनल और सेंसिटिव इनफॉरमेशन सिक्योर रहती है

 

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