आखिर क्यों मनाया जाता है मकर संक्रांति का पर्व? क्या है खास!

दोस्तों 14 जनवरी सन 2024 में मकर संक्रांति का त्यौहार पूरे भारत में भिन्न-भिन्न तरीकों से धूमधाम से मनाया जाएगा लेकिन दोस्तों आपको कभी मन में विचार जरूर है और क्या आखिर हम यह मकर संक्रांति क्यों मनाते हैं इसके पीछे क्या कारण है क्या वजह है यहां पिछले कई वर्षों से एक परंपरा है लेकिन इसके पीछे का कारण बहुत सारे लोगों को मालूम नहीं है। इसके पीछे बहुत ही विशेष कारण है तो दोस्तों हम इसी विषय पर आपको जानकारी देने जा रहे हैं। मकर संक्रांति खुशियों का त्यौहार है लेकिन इसके मनाने के पीछे की वजह हम जल्द से जल्द इस आर्टिकल की मदद से जानते हैं।

 

मकर संक्रांति का पर्व क्यों मनाया जाता है?

दोस्तों मकर संक्रांति के दिन से ही सूर्य उत्तरायण होता है। भारत में इसको बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। सभी जगह इस मकर संक्रांति के पर्व को संपूर्ण अखंड भारत में फसलों के आगमन की खुशियों के रूप में मनाया जाता है। इस वक्त खरीफ की फसल कट चुकी होती है और वही रबी की फसल खेतों में लहरा रही होती है। इस टाइम पर खेतों में सरसों के फूल बहुत ही आकर्षक लगते हैं वह एक तरह से मनमोह लेते हैं। सरसों के फूल खेतों में ऐसे झूमते हैं जैसे मानो जंगल में पंख लहरा कर मोर नाचता हो। दोस्तों यह तो सब आम बात हैं लेकिन अब हम जानते हैं की मकर संक्रांति का पर्व किस खास वजह से मनाया जाता है तो दोस्तों आपको बता दे की इस दिन मतलब मकर संक्रांति के दिन कुछ पौराणिक व ऐतिहासिक घटनाएं भी घटित हुई थी। चलिए दोस्तों नीचे इसके बारे में विस्तार से जानकारी जानते हैं।

आखिर क्यों मनाया जाता है मकर संक्रांति का पर्व?

दोस्तों हिंदू धर्म तथा शास्त्रों के अनुसार-

पहला कारण- मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर गति करने लगते हैं। इस दिन से लगभग देवताओं का 6 महीने का दिन शुरू होता है यहां आषाढ़ मास तक चलता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य देवता अपने पुत्र शनि देव के घर एक महीने के लिए जाते है क्योंकि मकर राशि के स्वामी भगवान शनि देव हैं।

दूसरा कारण- मकर संक्रांति के दिन ही भागीरथ जी के पीछे-पीछे गंगा जी कपिल मुनि जी के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थी। महाराज भागीरथ जी ने अपने पूर्वजों के लिए मकर संक्रांति के दिन तर्पण किया था। जिस वजह से ही मकर संक्रांति के दिन गंगासागर में मेला लगता है। महाराज भागीरथ जी ने पूर्वजों का गंगाजल, अक्षत तिल से श्राद्ध तर्पण किया था। तभी से लेकर माघ मकर संक्रांति स्नान एवं मकर संक्रांति श्राद्ध तर्पण की प्रथा आज तक चली आ रही है।

तीसरा कारण- भगवान विष्णु जी ने इस दिन मतलब मकर संक्रांति के दिन असुरों का अंत करके युद्ध की समाप्ति की घोषणा करी थी। विष्णु जी ने सभी असुरों के सिर को मंदार पर्वत में दबा दिया था। इसलिए इस दिन बुराइयों व नकारात्मक को नष्ट करने का दिन भी माना जाता है।

चौथा कारण- यह बात महाभारत की है जब महाभारत में भीष्म पितामह ने देह त्यागने के लिए सूर्य देव के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा करी थी क्योंकि भीष्म पितामह का भी श्राद्ध तर्पण सूर्य के उत्तरायण में ही किया गया था।
उत्तरायण में देह छोड़ने वाली आत्मा कुछ वक्त के लिए देवलोक में प्रस्थान करती है या फिर पुनर्जन्म के चक्र से उनको छुटकारा मिल जाता है।

भगवान श्री कृष्ण जी ने भी महाभारत में सूर्य के उत्तरायण का बड़ा महत्व बताया है।

 

निष्कर्ष-

दोस्तों आशा करता हूं कि आपको आपका जवाब मिल गया होगा। आपको मकर संक्रांति के पर्व के बारे में आखिर इसको क्यों मनाया जाता है जिसके पीछे की वजह मालूम चल चुकी होगी। दोस्तों इस पोस्ट को आप अपने फ्रेंड एवं पहचान वालों के साथ सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें ताकि वह भी इस पोस्ट के द्वारा इन बातों को जान सके।
“Thankyou”

 

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